गीत
दिल को सही रास्ते पे डाला न गया,
उसका दिया हमसे सम्भाला न गया।
दिल को सही ......................
गौर न की मेरी मस्ती नासूर बन गई,
जिसकी थी रहमत उससे ही ठन गई,
पछताये दाग दिल का काला न गया।
दिल को सही .....................
मंजिल का पता नही राह में भटके है,
यहाँ के न वहां के बीच में ही लटके है,
अरमानों के परिंदे को पाला न गया।
दिल को सही ........................................"रैना"
दिल को सही रास्ते पे डाला न गया,
उसका दिया हमसे सम्भाला न गया।
दिल को सही ......................
गौर न की मेरी मस्ती नासूर बन गई,
जिसकी थी रहमत उससे ही ठन गई,
पछताये दाग दिल का काला न गया।
दिल को सही .....................
मंजिल का पता नही राह में भटके है,
यहाँ के न वहां के बीच में ही लटके है,
अरमानों के परिंदे को पाला न गया।
दिल को सही ........................................"रैना"
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