जाने फिर भी अनजान बने,
बेशक हम है नादान बने,
तरकीबें तो बहुत ही बनाते है,
मगर जैसा चाहे वो वैसा नाचे है,
मगर जैसा चाहे.......................
दिन निकला बेदर्द रात हुई,
मगर खत्म न लम्बी बात हुई,
मुसल्सल जारी है वो चक्कर,
हाय साजन से न मुलाकात हुई,
निरंतर आते मुसाफिर जाते हैं,
मगर जैसा चाहे......................."रैना"
सुप्रभात जी ..................good morning ji
बेशक हम है नादान बने,
तरकीबें तो बहुत ही बनाते है,
मगर जैसा चाहे वो वैसा नाचे है,
मगर जैसा चाहे.......................
दिन निकला बेदर्द रात हुई,
मगर खत्म न लम्बी बात हुई,
मुसल्सल जारी है वो चक्कर,
हाय साजन से न मुलाकात हुई,
निरंतर आते मुसाफिर जाते हैं,
मगर जैसा चाहे......................."रैना"
सुप्रभात जी ..................good morning ji
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