Thursday, May 14, 2015

दिल के किसी कोने में बर्फ जमी होगी,
इसलिये तो सूखी आँखों में नमी होगी,
इंतजार में खूली रह गई होगी नम आंखे,
आशिक की जब चलती सांसें थमी होगी। रैना"


मैं कैसे तारीफ करू अल्फाज नही मिलते,
गुलशन में ऐसे तो कभी फूल नही खिलते,
हुस्न के जलवों ने महका दिया ये आलम,
अफ़सोस ये वो घर से बाहर नही निकलते।रैना"  

यहां झूठ बोलने मसका लगाने का रिवाज है,
लेकिन जैसे को तैसा कहना अपना अंदाज है,
अफ़सोस भाये न आये किसी को मेरी ये अदा,
 इसलिये हर कोई अपने से सख्त नाराज है । रैना"

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