दोस्तों आप के लिए खास
किसी से कर ले कैसे शिकवे गिले,
आंखों का कसूर सजा दिल को मिले।
यूं ऐसे ही न ये महकता है गुलशन,
कली का सीना फाड़ फूल है खिले।
बेदर्द दूरी निरन्तर क़हर ढा रही,
धरा कैसे आसमां के जख्म सिले।
रस अंगूरी पीने की खता क्यों करे,
रैना"जामे नाम जब पीने को मिले।रैना"
किसी से कर ले कैसे शिकवे गिले,
आंखों का कसूर सजा दिल को मिले।
यूं ऐसे ही न ये महकता है गुलशन,
कली का सीना फाड़ फूल है खिले।
बेदर्द दूरी निरन्तर क़हर ढा रही,
धरा कैसे आसमां के जख्म सिले।
रस अंगूरी पीने की खता क्यों करे,
रैना"जामे नाम जब पीने को मिले।रैना"
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