सूरज निकले जब अन्धेरा होता,
बेशक हर हाल जिकर तेरा होता।
देखे जलवे हमको एहसास हुआ,
हर शै में तेरा ही बसेरा होता।
आशिक तो करते महबूब की पूजा,
मन मन्दिर में यार का डेरा होता।
इस कोने में जो शाम ढले यारों,
इसके विपरीत कहीं सवेरा होता।
अरमान मिरे होते पूरे "रैना"
काश सनम जो तू रब मेरा होता।........"रैना"
बेशक हर हाल जिकर तेरा होता।
देखे जलवे हमको एहसास हुआ,
हर शै में तेरा ही बसेरा होता।
आशिक तो करते महबूब की पूजा,
मन मन्दिर में यार का डेरा होता।
इस कोने में जो शाम ढले यारों,
इसके विपरीत कहीं सवेरा होता।
अरमान मिरे होते पूरे "रैना"
काश सनम जो तू रब मेरा होता।........"रैना"
No comments:
Post a Comment