हमने तेरे दीदार करने है जो तेरी इजाजत मिल जाये,
मुफलिस हम भिखारी खैर मांगे महब्बत मिल जाये।
मुफलिस हम भिखारी .........................................
रेत फिसल रही है हाथों से मुझे समझ न मैं सोच रहा,
मैं जानू जा रहा ओर कही पर कदमों को न रोक रहा,
देखो मेरी नादानी सोचू बाजार में इबादत मिल जाये।
मुफलिस हम भिखारी .........................................
आजकल हमारी फितरत है सही को गलत हम कहते है,
खुद को तो कभी अजमाते नही गफलत में हम रहते है,
"रैना" ये दुआ हम मांगे है हर रोज ही दावत मिल जाये।
मुफलिस हम भिखारी ........................................."रैना"
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