हाथ नही जब दिल मिलते है,
गुल उल्फत के तब खिलते है।
प्यार की गंगा बहने लगती,
ये पत्थर तब ही पिगलते है।
आशिक खुद को धोखा देते,
दिल के जख्म नही सिलते है।
"रैना" शिकवे आज भुला के,
ईद का दिन आ गले मिलते है,....."रैना"
गुल उल्फत के तब खिलते है।
प्यार की गंगा बहने लगती,
ये पत्थर तब ही पिगलते है।
आशिक खुद को धोखा देते,
दिल के जख्म नही सिलते है।
"रैना" शिकवे आज भुला के,
ईद का दिन आ गले मिलते है,....."रैना"
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