अफवाहों से न डरा करते,
जुल्म से तो डट के लड़ा करते।
जिसमें शिक्षा की बात न हो,
ऐसी पुस्तक न पढ़ा करते।
वजह रहे तो तकरार करे,
यू ही बखेड़ा न खड़ा करते।
"रैना" आखिर सूरज निकले,
मन को छोटा न करा करते।.......... "रैना"
जुल्म से तो डट के लड़ा करते।
जिसमें शिक्षा की बात न हो,
ऐसी पुस्तक न पढ़ा करते।
वजह रहे तो तकरार करे,
यू ही बखेड़ा न खड़ा करते।
"रैना" आखिर सूरज निकले,
मन को छोटा न करा करते।.......... "रैना"
बहुत ही सुन्दर लाइने लिख डाली रैना जी,
ReplyDeleteदो लाइने और जोड़ने की अनुमति चाहता हूँ ;
अगर इन असभ्यों में इतनी जो अक्ल होती,
नकली तस्वीरों को देख ये यूं न सड़ा करते।
एक और बात कहूंगा कि ब्लॉग सेट्टिंग से वर्ड वेरिफिकेशन हटा दे तो ज्यादार बेहतर होगा क्योंकि मैं समझता हूँ कि टिप्पणी देने वाले को कष्ट देने के सिवाए इस वर्ड वेरिफिकेशन की कोई मीनिंग नहीं है
Deleteबहुत खूब !
ReplyDeleteक्या सच है क्या अफवाह
ये भी तो कोई कहाँ कह रहा !