दर्दे जुदाई तो वो जाने,
जो परदेशों में बसते है,
तन्हा बैठे रोते हरदम,
महफिल में चाहे हसते है......"रैना"
बेशक गुल तो न कभी खिलता,
गुलशन उजड़े वीराने में,
अपना भी गैरों में शामिल,
जबजाता घर बेगाने में........"रैना"
गाँधी जी हसीनो से ऐसे नाक लड़ोगे तो लोग नोट से उतरवा देगे.
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