Friday, April 20, 2012

ye mere andar kon bolta hai

मेरे दोस्तों इसको जरुर पड़े मनन करे.

मेरे भीतर कोई निरंतर बोले है
पर वो अपना राज न खोले है.
उसके दम से मेरा जिस्म डोले है,
मन मेरा उड़ता लेता हिचकोले है.
बेशक जोर सब ने लगाया है, 
कोई फिर भी जान न पाया है.
कोन कहाँ किघर से यहाँ आया है.
किसी ने  क्यों चक्कर चलाया है,
कहते सब उसकी काया माया है,
उस जादूगर को कोई देख पाया है.
इसका जवाब किसी के पास नही है,
फिर ये सिद्द हो गया वो रहता यही है.
उसी के चाँद सूरज धरती आग समुंदर,
मगर वो बैठा रहता साफ मन के अंदर.
इसलिए रैना" तू मत भटक न दूर जा,
अपने मन को तू साफ शुद्द घर बना.
वो खुद आकर उसमें बैठ जाये गा.
तेरे जीवन को फूल जैसा महकाएगा....... "रैना"

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