Saturday, September 3, 2011

गर तेरी यादों का सहारा नही होता,
फिर तो अपना भी गुजारा नही होता.
तेरे यादों  ने ही  हमे जिन्दा रखा,
वर्ना ये चमकता सितारा नही होता.
गर मुसीबत ही कही दूर जा बसती,
फिर तो हर शख्स यूँ बेचारा नही होता,
गर होते न इस हुस्न के हसीन जलवे,
मस्त मौसम दिलकश नजारा नही होता.
मेरा जीना तो  हो ही जाता मुशिकल,
गर मेरे  उसयार का  इशारा नही होता.
"रैना"उस खुदा बंद की  नजरे इनायत है,
वर्ना यहाँ  कुछ भी हमारा नही होता.
राजिंदर "रैना"

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