Tuesday, September 27, 2011


जय माँ अम्बें
दोहा
जय अम्बे जगदम्बिके तुम हो अपरम्पार,
 कण कण में वास तेरा अनंत रूप अपार,
आदि शक्ति माँ भगवती मन के जोड़ो तार,
 बुद्दि हीन तुच्छ दास की अर्ज करो स्वीकार.
दुर्गा स्तुति
दुर्गा रानी कत्यानी मुझ पे किरपा कीजिए,
 भक्ति में तेरी मन रमे ऐसा वर माँ दीजिए.
बंधन तोडू तो से जोडू छोड़ दू इस लोक को,
 तो से लाके मन जगा के सफल करू परलोक को.
मुख ये खोलू जय माँ बोलू चरणों में तेरे सिर धरु
मोहो माया को छोड़ के तेरा ही जप करू.
मैंने माना है ये जाना मतलबी संसार है,
साचा नाम है माँ अम्बे का बाकी सब बेकार है.
शेरो वाली माँ निराली दर्शन की अभिलाषा है,
 होगे दर्शन दुःख मिटे अब चहुँ और निराशा है.
रैना" मइया खैर मांगे भक्ति तेरे नाम की, 
जल बिन मछली तडफे जिन्दगी किस काम की. "रैना"

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