Monday, September 26, 2011

तेरे हुस्न के जलवे, बेकरारी बढ़ा रहे है,
यूँ धीरे-धीरे हम भी तेरे पास आ रहे है.
तेरे इंतजार में अभी आधी रात गुजरी,
दीये जला रहे  कभी दीये बुझा रहे है.
इस शहर के बाशिंदे हो लीये आवारा,
बेवजह यहाँ वो कभी वहां जा रहे है.
खुद से बेखबर औरों की खबर रखते,
बातों की रेत से अब बस्ती बसा रहे है.
हुआ जो तेरा दीवाना खता नही ये मेरी,
तेरे हसीन जलवे मुझको बहका रहे है.
"रैना"सोच ले क्या जिन्दगी का मतलब,
होते सफेद बाल सब कुछ समझा रहे है.
                                                "रैना

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