Tuesday, September 27, 2011

hasin

रोने से मसले होते न हल,
कोशिश अक्सर होती सफल.
किस्मत पर तो कर्म है भारी,
अन्धविश्वास से बाहर निकल.
चढ़ती जवानी गुमां न कीजे,
शाम की तरह  जाये गी ढल.
कहने को जिंदगी  सौ वर्ष की,
सही मयानों में पल दो पल.
जो भी होना आज ही होगा,
कुछ भी होना नही है कल.
चार दिनों का खेल है सारा,
गम की आग में यूँ न जल.
"रैना" जिन्दगी हसीं बना ले,
आ चलते है घर यार के चल.
                                            "रैना"

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