Wednesday, May 1, 2013


तू हंसे फिर तो मोती बिखर जाते,
ओस की बूंदों से गुल निखर जाते।
तेरे नैनो से पीने वाले रिंद रसिया,
महफ़िल जमा लेते हैं जिधर जाते।
गर हो जाये तेरी रहमत की नज़र,
फिर तो नसीबा अपने संवर जाते।
मकसद सब का एक रास्तें अलग है,
कोई फर्क नही इधर या उधर जाते।
"रैना" को तुझसे मोहब्बत हो गई है,
तेरी गली छोड़ हम फिर किधर जाते।"रैना"


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