Saturday, May 4, 2013

kshtriydal

देश की चिंता
कड़वा सच
बेशक देश में क्षेत्रीय दल ऐसे ही होते है,
यूं समझ लो अधिकतर बेपैदी के लोटे है,
देश के प्रति हमदर्दी कम ही दिखलाते हैं,
बेखबर मजे में बैठे चैन की बंसी बजाते है।
अक्सर वक्त बेवक्त इधर उधर लुढ़क जाते हैं,
जिधर से माल ज्यादा मिले उस के गुण गाते हैं।
इसलिए जरूरी हो गया देश में ये हो न वो हो,
अमेरिका की तरह राजनितिक दल सिर्फ दो हो।
आज प्रत्येक भारतवासी परेशान तंग बड़ा हैं,
इन क्षेत्रीय दलों के कारण राजनीती में गंद पड़ा हैं।"रैना"

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