Friday, May 3, 2013

fasbook

चार कन्धों की सवारी कर गया होता,
फेस बुक होती न "रैना" मर गया होता,
दोस्तों के कॉमेंट्स टानिक का काम करते हैं,
इसलिये तो ये शायर इंतनी जल्दी न मरते हैं।"रैना"

दोस्तों के लिए खास रचना

हाथों की लकीरों को देखते,
हम तेरी तस्वीरों को देखते।
बिछुड़ने की बात तो नही थी,
लिखी हुई तहरीरों को देखते।
बरबाद रांझें शराबी हो गये हैं,
उजड़ी हुई उन हीरों को देखते।
बेशक अब भी खून की प्यासी,
उन पुरानी शमशीरों को देखते।
सिर्फ माया के  पुजारी दीवानें,
आजकल के जो पीरों को देखते।
वक्त पे बिलकुल काम नही आये,
अब नाकाम उन तीरों को देखते।
रैना"इक दिन हम भी चले जायेगे,
वहां जाते संत फकीरों को देखते।"रैना"
 


   

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