Friday, May 3, 2013

martaitni

मारता  इतनी जोर की लाठी भी टूट जाती है,
मगर उसके मारे की आवाज नही आती है।
उसकी मर्जी के बिना  पत्ता भी नही हिलता,
तेज चलती आंधी हवा झट खामोश हो जाती है।
वो खफा तो सुखी धरती पे पड़ जाती हैं दरारें,
वो चाहे तो खिली धूप में बदली पानी बरसाती है।
उसकी हर अदा बेमिसाल उसके हैं क्या कहने,
बेशक वो खुद ही दीवाना रिन्द खुद ही साकी है।
मोह माया के चक्कर में वैसे उलझा इंसान देखो,
रैना"फिर भी सब को उसकी याद तो सताती है।
        सुप्रभात जी जय जय माँ जय जय माँ 

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