आज फिर दरिया बहाने की सोचे,
वो बचे चार ख़त जलाने की सोचे.
आखिर कब तक सम्भाले उनको,
अब तो हम गंगा नहाने की सोचे.
जलती शमा ये तो उसकी मर्जी है,
परवाना खुद को मिटाने की सोचे.
बेशक बन्दगी तो होती है पर्दे में,
मगर अब हर कोई दिखाने की सोचे.
"रैना" कैसे होगी पूरी तेरी हसरत,
सिर्फ बातो से बस्ती बसाने की सोचे..."रैना"
वो बचे चार ख़त जलाने की सोचे.
आखिर कब तक सम्भाले उनको,
अब तो हम गंगा नहाने की सोचे.
जलती शमा ये तो उसकी मर्जी है,
परवाना खुद को मिटाने की सोचे.
बेशक बन्दगी तो होती है पर्दे में,
मगर अब हर कोई दिखाने की सोचे.
"रैना" कैसे होगी पूरी तेरी हसरत,
सिर्फ बातो से बस्ती बसाने की सोचे..."रैना"
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