उल्फत की शमा जलाना चाहता हूं
तारा जमीन पे चमकाना चाहता हूं.
उसकी इबादत में मसरूफ रह कर,
अपनी हस्ती को मिटाना चाहता हु.
इस मतलबी दुनिया में दिल न लगे,
अब तो तेरे घर ही आना चाहता हूं.
"रैना" को याद करे बाद में जमाना,
मौत को मैं हसीन बनाना चाहता हु...."रैना"
No comments:
Post a Comment