Saturday, March 31, 2012

jiwan

दोस्तों मैं हर दिन किसी एक विषय पर सीरिज में व्यंग कहने जा रहा हु
देश समाज किसी भी विषय पर यदि आप व्यंग चाहते है तो जरुर बताये
आज का विषय है "जीवन"
अब जीवन चौसर का खेल है,
निसन्देह हर मेल ही बेमेल है,
हर किसी को है पैसे से मतलब,
अब तो घर भी लगे तिहाड़ जेल है.
चिंता ने खीँच दी है चेहरे पे लकीरे,
महंगाई ने निकाला बंदे का तेल है.
ख़ुशी तो अब नजदीक न फटकती,
मगर गम सस्ते लगी हुई सेल है.
चोर उच्चका हर क्लास में हो पास,
इमानदार वफादार हर जमात में फेल है.
"रैना" जीवन के बारे तू क्या करे बात,
अपना जीवन तो जैसे पैसेंजर रेल है..............................."रैना"

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