Thursday, March 8, 2012

diwas

jai mata ki
दिवस मनाने से काम न चलता,
शोर मचाने से काम न चलता.
नारी जगा अपनी शक्ति,
पहचान तू अपनी हस्ती.
तू  जगत का आधार है,
तुझ पे निर्भर संसार है.
तू आदि शक्ति का अंश है,
तुझ से ही चलता वंश है.
क्यों कर रही अपना नास है,
कोई मजबूरी न खास है.
यमराज से टकरा सकती हो,
जीते जी जल के दिखा सकती हो.
फिर अब क्यों हो घबराई हुई,
मान्निद कली के मुरझाई हुई.
तू पैसे के पीछे न ऐसे दौड़ लगा,
भारतीय संस्कृति का मान बढ़ा.
कुदरत की अदभुत कृति नारी,
'रैना" तेरा सदैव रहेगा आभारी.
सुप्रभात जी .............good morning

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