कुछ समय पहले दोहराते थे मेरे यार,
काठ की हांडी तो नही चढ़ती बार बार,
मगर अब मुहावरा ही बदला सरकार,
काठ की हांडी ही चढ़ रही है बार बार,
भ्रष्टाचार की दीमक ने देश चट किया,
सारा सिस्टम ही पोलियो ग्रस्त बीमार.
भारत देश में दो जातियों का विस्तार,
नेता और गुरु उगे है जैसे खर पतवार.
मसीहा की हालत देख हुए निठल्ले,
सब को बिना काम माया की दरकार.
चाहे चारों तरफ मचा हुआ कोहराम,
चांदी कूट रहे है देखो धर्म के ठेकेदार,
अपने बोस को खुश करने के लिए नेता,
चमचागिरी के नित नये करते अविष्कार.
"रैना"देश को काले अंग्रेजों से बचाने के लिए,
आजादी की लड़ाई लडनी पड़े फिर इक बार......................."रैना"
काठ की हांडी तो नही चढ़ती बार बार,
मगर अब मुहावरा ही बदला सरकार,
काठ की हांडी ही चढ़ रही है बार बार,
भ्रष्टाचार की दीमक ने देश चट किया,
सारा सिस्टम ही पोलियो ग्रस्त बीमार.
भारत देश में दो जातियों का विस्तार,
नेता और गुरु उगे है जैसे खर पतवार.
मसीहा की हालत देख हुए निठल्ले,
सब को बिना काम माया की दरकार.
चाहे चारों तरफ मचा हुआ कोहराम,
चांदी कूट रहे है देखो धर्म के ठेकेदार,
अपने बोस को खुश करने के लिए नेता,
चमचागिरी के नित नये करते अविष्कार.
"रैना"देश को काले अंग्रेजों से बचाने के लिए,
आजादी की लड़ाई लडनी पड़े फिर इक बार......................."रैना"
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