आदमी को आदमी से क्यों गिला है,
हर किसी को तो नसीब लिखा मिला है। "रैना"
आदमी को आदमी से क्यों गिला है,
हर किसी को तो नसीब लिखा मिला है। "रैना"
हर किसी को तो नसीब लिखा मिला है। "रैना"
आदमी को आदमी से क्यों गिला है,
हर किसी को तो नसीब लिखा मिला है। "रैना"
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