Monday, September 24, 2012

aek ho jaye

एस डी कालेज अम्बाला कैंट में 23 सितम्बर को
आयोजित इंडो पाक मुश्यारे में नामी शायरों ने
अपनी पुरानी रचनाएँ पढ़ कर खूब वाहवाही लूटी।
वैसे मेरे जैसे गुमनाम शायर की ऐसे मुशायरे को
 सुनने के लिए जाने की भी औकात नही है।
 मैंने इस मुशायरे को ध्यान में रख कर एक रचना
 लिखी है मैं आप की खिदमत में पेश कर रहा हूँ।

गर थोड़ा सा सावधान हरएक हो जाये,
और नेताओं को बीच में से निकाल दे,
फिर तो भारत पाकिस्तान एक हो जाये।
बेशक इसमें अब कोई तर्क न वितर्क है,
नेताओं ने किया दोनों देशों का बेड़ा गर्क है।
ये आग मुल्ला, पुजारियों ने भी लगाई है,
और धर्म के ठेकेदारों ने ये दूरियां बड़ाई  है।
दूसरे बड़े देश दोनों देशों को उलझा रहे है,
दोनों को हथियार बेच कर खूब पैसा कमा रहे है। 
 दोनों देशों के नेताओ को समझ तो आता है,
इसलिए नासमझ क्योकि स्विस बैंक में खाता है।
दोनों देशों के नेताओं कलाई मरोड़ने की न बात करो,
वक्त की पुकार टूटे हुए धागें जोड़ने की बात करो।
वरना ये मगरमच्छ देर न लगाये गे,
मौका लगते ही दोनों को निगल जायेगे।।।।।।।"रैना"

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