चलते चलते एक ग़ज़ल पेश है
मत सोचो लोग कहेगे क्या,
सोचो हम कर्म करे गे क्या।
चढ़ती गिरती मकड़ी देखे,
हम इतनी बार चढ़ेगे क्या।
औरों से तो लड़ते अक्सर,
खुद से इस कदर लड़ेगे क्या।
चारागर से पूछत रोगी,
अब दिल के जख्म भरेगे क्या।
अरमानों से हसरत पूछे,
रैना" बेमौत मरे गे क्या ....."रैना"
मत सोचो लोग कहेगे क्या,
सोचो हम कर्म करे गे क्या।
चढ़ती गिरती मकड़ी देखे,
हम इतनी बार चढ़ेगे क्या।
औरों से तो लड़ते अक्सर,
खुद से इस कदर लड़ेगे क्या।
चारागर से पूछत रोगी,
अब दिल के जख्म भरेगे क्या।
अरमानों से हसरत पूछे,
रैना" बेमौत मरे गे क्या ....."रैना"
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