Wednesday, January 2, 2013

am gila bhi

दोस्तों दिल का टुकड़ा पेश कर रहा हु।

हम गिला भी कर नही सकते,
क्या करे खुद मर नही सकते।
सामने आ कुछ कहे तुझ से,
दूर बैठा लड़ नही सकते।
जख्म दिल पे हैं लगे इतने,
अब दवा से भर नही सकते।
है फटी चादर नसीबों की,
हम रफू भी कर नही सकते।
दूर मंजिल थक चुके हम,
अब चढ़ाई चढ़ नही सकते।
वक्त "रैना" को डरा सकता,
दर्द से हम डर नही सकते।"रैना"

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