Tuesday, January 1, 2013


हमको खुद से मोहब्बत नही है,
सजने सवंरने की आदत नही है,
खिड़की के शीशे में झांक लेते है,
आईना देखने की हिम्मत नही है। रैना"

महबूब मेरे इश्क ने तेरे पागल किया है,
तीरे नजर का है असर दिल को घायल किया है।
हो पास फिर भी दूर क्यों ऐसे मजबूर हो तुम,

याद उनकी जब कभी आ जाती है,

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