देश में क्या हो रहा है,
क्यों मसीहा सो रहा है।
मौज बुझदिल की लगी है,
खून पानी हो रहा है,
मस्त किस्मत अब गधे की,
भार घोड़ा ढो रहा है।
आज का इन्सान बदला,
होश अपने खो रहा है।
मस्त गाँधी हंस रहा है,
बोस" छम छम रो रहा है।"रैना"
क्यों मसीहा सो रहा है।
मौज बुझदिल की लगी है,
खून पानी हो रहा है,
मस्त किस्मत अब गधे की,
भार घोड़ा ढो रहा है।
आज का इन्सान बदला,
होश अपने खो रहा है।
मस्त गाँधी हंस रहा है,
बोस" छम छम रो रहा है।"रैना"
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