इक ग़ज़ल आप दोस्तों के नाम
दीवारों से लग लग रोना,
उल्फत में पागल मत होना।
आशिक को ये होता हासिल,
आँखों को अश्कों से धोना।
जीवन कटता तन्हाई में,
मिलना गम बाकी सब खोना।
पैरों पे लगती कुल्हाड़ी,
जीवन में कांटें क्यों बोना।
"रैना"करता तौबा तौबा,
दिल का सौदा मत कर देना।"रैना"
दीवारों से लग लग रोना,
उल्फत में पागल मत होना।
आशिक को ये होता हासिल,
आँखों को अश्कों से धोना।
जीवन कटता तन्हाई में,
मिलना गम बाकी सब खोना।
पैरों पे लगती कुल्हाड़ी,
जीवन में कांटें क्यों बोना।
"रैना"करता तौबा तौबा,
दिल का सौदा मत कर देना।"रैना"
No comments:
Post a Comment