Monday, September 24, 2012

holibhali janta ka dil

बेटी बचाओं बेटी बचाओं मचा शोर है,
हर कोई बेटी बचाने में लगा रहा जोर है।
क्यों बेटी को किसलिए बचाया जाये,
तंदूर में जलाने के लिए,
दहेज की बली चढ़ाने के लिए,
मंडी में बिकवाने के लिए,
होटलों में नग्न नचाने के लिए,
रखैल बनाने के लिए,
या कोठे पे रंग जमाने के लिए।
बेशक कोई काम चलाया या रोका जाता है,
हर जगह बेचारी बेटी को ही परोसा जाता है।
ये अजीब है कमाल देखा,
बेटी का बुरा हाल देखा।
बेटी पे निरंतर अत्याचार हो रहा है,
सारा देश लम्बी ताने सो रहा है।
जो जन्म ले चुकी उसे मिटाया जा रहा है,
अफ़सोस अजन्मी को बचाया जा रहा है।
बरपा बेवजह का हंगामा है,
 लगाना कही और निशाना है।
जिस देश में महिलाओ को 33%आरक्षण नही मिला,
जिनके होठों पर समाज के टेकेदारों से गिला।
उस देश में बेटी बचाने की बात,
हो गई है दिन में जैसे रात।
इसलिए बेटी के ठेकेदारों ज्यादा शोर न मचाओ,
जो जन्म ले चुकी उसे बचाओं।
अजन्मी को फिर कोई नही मारेगा। ...."रैना"


1 comment:

  1. अति उत्तम ....आज पहली बार लगा कि....ये है कविता ...ये है सच्चाई ......बहुत खूब

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