आज फिर रह रह के बहुत याद आ रही है,
ऐसा लगता माँ मेरे लिए खीर पका रही है.
मैं कोई यूं ही नही कह रहा हूँ मेरे दोस्तों,
मेरे गांव से आती हवा तो यही बता रही है.
कहना हवा का भी गलत नही लगता यारों.
देखो हवा भी ममता की खुश्बू से नहा रही है.
पैरों में पड़ी जंजीरें मैं तो तोड़ नही सकता,
मगर ये एहसास मुझे मेरी माँ बुला रही है.
"रैना" इक तू ही नही सह रहा दर्दे जुदाई,
हर किसी को आतिश ए याद जला रही है. "रैना"
ऐसा लगता माँ मेरे लिए खीर पका रही है.
मैं कोई यूं ही नही कह रहा हूँ मेरे दोस्तों,
मेरे गांव से आती हवा तो यही बता रही है.
कहना हवा का भी गलत नही लगता यारों.
देखो हवा भी ममता की खुश्बू से नहा रही है.
पैरों में पड़ी जंजीरें मैं तो तोड़ नही सकता,
मगर ये एहसास मुझे मेरी माँ बुला रही है.
"रैना" इक तू ही नही सह रहा दर्दे जुदाई,
हर किसी को आतिश ए याद जला रही है. "रैना"
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