बेशक दिनों का फेर है,
वैसे कामयाबी से अपना पुराना रिश्ता है."रैना"
फूलों से दोस्ती से पहले,
काँटों से निभाना सीख ले,
औरों को तौलने से पहले,
खुद को अजमाना सीख ले."रैना"
आवारापन का कुछ हिसाब रखो,
यूँ अपनी नीयत न खराब रखो.
दोस्तों पेड़ों की शान में चार लाइन लिख रहा हूँ जी
धरती माँ की शान है पोधें,
सब जीवों की जान है पोधें,
ये दुःख सह कर सुख देते है,
निस्वार्थ बड़े दयावान है पोधें."रैना".
खत्म तेरी यादों का सिलसिला होता ही नही,
आंठों पहर आती फिर भी बाकी रह जाती है."रैना"
उफ़
दिल की बेकरारी ??????
बढ़ती ही जाती है,
वो आते न ही मौत आती है,
बेशक दिन में शमा जलाई नही जाती,
मगर रात को बेवजह बुझाई नही जाती."रैना"
अरमानों पर पानी फिरता देख कर मुझे तेरे वादे का ख्याल आया."रैना"
इक आशा ने हमें जिन्दा रखा,
वरना हम कब के मर गये होते,
गम तैयार खड़े थे रस्सी लिए,
हम कब के सूली चढ़ गये होते,
गर आशा न होती."रैना"
चश्मे मय को पीने वाले निराले होते है,
मखमूर नशे में हाथों में न प्यालें होते है,
उन्हें तो मिलता नही उसके घर का पता,
"रैना" जो बदनीयत दिल के काले होते है. "रैना"
वैसे कामयाबी से अपना पुराना रिश्ता है."रैना"
फूलों से दोस्ती से पहले,
काँटों से निभाना सीख ले,
औरों को तौलने से पहले,
खुद को अजमाना सीख ले."रैना"
आवारापन का कुछ हिसाब रखो,
यूँ अपनी नीयत न खराब रखो.
दोस्तों पेड़ों की शान में चार लाइन लिख रहा हूँ जी
धरती माँ की शान है पोधें,
सब जीवों की जान है पोधें,
ये दुःख सह कर सुख देते है,
निस्वार्थ बड़े दयावान है पोधें."रैना".
खत्म तेरी यादों का सिलसिला होता ही नही,
आंठों पहर आती फिर भी बाकी रह जाती है."रैना"
उफ़
दिल की बेकरारी ??????
बढ़ती ही जाती है,
वो आते न ही मौत आती है,
बेशक दिन में शमा जलाई नही जाती,
मगर रात को बेवजह बुझाई नही जाती."रैना"
अरमानों पर पानी फिरता देख कर मुझे तेरे वादे का ख्याल आया."रैना"
इक आशा ने हमें जिन्दा रखा,
वरना हम कब के मर गये होते,
गम तैयार खड़े थे रस्सी लिए,
हम कब के सूली चढ़ गये होते,
गर आशा न होती."रैना"
चश्मे मय को पीने वाले निराले होते है,
मखमूर नशे में हाथों में न प्यालें होते है,
उन्हें तो मिलता नही उसके घर का पता,
"रैना" जो बदनीयत दिल के काले होते है. "रैना"
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