Saturday, January 14, 2012

jine ka kuchh

तू जीने का अन्दाज कुछ अलग ही ढंग रखना,
गुजरना हो आसान दिल की गली न तंग रखना.
कम पड़ जाये जो डोर चाहे इधर उधर से ले लेना,
मगर ऊँची चढ़ा कर ही ज़िन्दगी की पतंग रखना."रैना"

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