बेशक जीने की अदा तो आम होनी चाहिये,
मगर जिंदगी की ह्सीन शाम होनी चाहिये."रैना"
जब जी चाहे चले आना अपने यहां हरपल महफ़िल जवां रहती."रैना"
आजकल चेले मालामाल लगते है,
गुरु तो गुरु घंटाल खड़ताल लगते है.
खान पीन पहरन का सलीका आना चाहिये,
बातचीत अदब का भी तरीका आना चाहिये,"रैना"
मगर जिंदगी की ह्सीन शाम होनी चाहिये."रैना"
जब जी चाहे चले आना अपने यहां हरपल महफ़िल जवां रहती."रैना"
आजकल चेले मालामाल लगते है,
गुरु तो गुरु घंटाल खड़ताल लगते है.
खान पीन पहरन का सलीका आना चाहिये,
बातचीत अदब का भी तरीका आना चाहिये,"रैना"
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