Thursday, October 20, 2011

aaya bad ka pani

आया जो बाढ़ का पानी कई मकां ढह गये,
जिनकी नींव मजबूत कायम वही रह गये.
क़यामत के तूफान में  कई बिखरे टूट कर,
आशिको की जिन्दादिली ये झटका सह गये.
महफिल में आज तो मचा हुआ कोहराम है,
सुनने वाला कोई नही कहने वाले कह गये.
रिमझिम की बरसात  कई मिले महबूब से,
बदनसीब अरमां कुछ आंसू बन के बह गये.
गम बख्शे यार ने बतौर तोहफे  निशानियाँ,
हम उन्हें सँभालते शो केश बन के रह गये.
गमगीन "रैना" अब सोचता तन्हा बैठ कर,
मतलबी  इस शहर में हम कहां के रह गये."रैना"

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