Tuesday, October 4, 2011

aek apil

एक अपील 
रावण को फिर जलाने की तैयारी,
मुद्दतों बाद क्या सोच बदली हमारी,
हम उसी रास्ते पर चलते जा रहे है,
अपने अन्दर बदलाव नही ला रहे है.
जरा सोचे रावण ने बुरा क्या किया था,  
बहन के अपमान का बदला ही लिया था.
रावण महा पंडित चार वेदों का ज्ञाता था,
हर देव उसके सामने शीश झुकाता था.
मगर हमने श्रेष्ठ रावण को नही जाना है,
उसके हर अंदाज को बुरा ही माना है.
क्योंकि हम ज्यादा समझदार हो गये है,
हम रावण को निरंतर जलाते जा रहे है,
मगर मन में बैठा रावण नही मिटा रहे है.
फिर दिखावा क्यों ये ढोंग करते जा रहे है,
रावण का जलना हम किसे दिखा रहे है.
हमारी आँखें तो बंद है.
चलो इस बार दशहरे पर  कुछ ऐसा करते जाये,
पुतले के साथ मन में बैठे रावण को भी जलाये.
दुनिया के सर्वश्रेष्ठ प्राणी है  सर्वश्रेष्ठ ही  कहलाये . "रैना"
  

No comments:

Post a Comment