जब से आँखें चार हुई कुछ उलझे उलझे रहते है,
तीरे नजर से घायल ये दिल हाल न पूछो कैसे है.
महिफल में लगता नही बेइंतहा रोये तन्हाई में,
नैना बेबस परेशान बहुत अश्कों के धारे बहते है
आशिक को खबर नही वो किस हाल में जी रहा,
बेदर्द जमाने वाले तो उसे पागल मजनू कहते है.
फ़िलहाल तो अपने से शनि देव जी कुछ रुष्ट हुए,
कभी तो मौसम बदलेगा इक आस लगाये बैठे है.
दिन चार देख के तंगी के क्यों "रैना" मायूस हुआ,
सत्य के पथ पर चलने वाले अक्सर दुखड़े सहते है."रैना"
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