Sunday, October 23, 2011

beshak ab to

बेशक अब तो शहर का मंजर अजीब है,
 खुशनसीब को ही चैन की नींद नसीब है,
दरियादिली के दावे तो करते बहुत मगर,
हकीकत से कोसों दूर सारा शहर गरीब है.
बेशक आ गया अब नीयत में बहुत फर्क,
दिल के करीब रहने वाला ही बने रकीब है.
"रैना"को उस जलवागर से यही है गिला,
 नजर क्यों नही आता जब रहता करीब है."रैना"


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