भूलना तो चाहा मगर भूला नही पाये,
दागे दिल साबुन से भी छूटा नही पाये.
बतौर सौगात संभाले है खत वो पुराने,
चाह के भी उनको हम जला नही पाये.
खातिर किसके दिल का शहर मिटा है,
ये राज भी उसको हम बता नही पाये.
हँसते है होठ मगर गम ये तमाम है,
वहां के लिए तो "रैना" कमा नही पाये."रैना"
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