Sunday, October 9, 2011

देश प्रेमियों के लिए खास रचना 
सोये हुए मन में आजादी की अलख जगाने का,
फिर वक्त आ गया भारत माँ को आजाद करवाने का.
फिर वक्त आ--------------------
बेशक गौरे अंग्रेजों को हमने भगा दिया,
मगर काले अंग्रेजों ने माँ को बंदी बना लिया.
काले अंग्रेजों से माँ को छुड़ाने का.
 फिर वक्त आ--------------------
छीना झपटी, लूट मार नंगा भ्रष्टाचार है,
द्रोपदी का चीर हरण होता बीच बाजार है,
दुशासन से द्रोपदी को बचाने का.
 फिर वक्त आ---------------
मतलब के दरिया में सारे असूल बह गये,
भाषणों तक सीमित  हमारे नेता रह गये,
 झूठे नेताओ को सबक सिखाने का.
 फिर वक्त आ-----------------
माँ की आबरू पे कई वार हो गए,
देश के मसीहा ही गद्दार हो गये,
बेनकाब कर गद्दारों को भगाने का.
 फिर वक्त आ--------------
रोती बिलखती माँ मेरी खड़ी की खड़ी रह गेई,
रामराज्य की कल्पना धरी की  धरी रह गेई,
शहीदों के सपनों का देश बनाने का.
 फिर वक्त आ -------------
उठो वीर जवानों भारत माँ की पुकार सुनो,
रंग लो बसंती चोला आजादी की राह चुनो,
"रैना" अपने कदम पीछे नही हटाने का.
फिर वक्त आ--------------------"रैना"

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