दोस्तों की फरमाइश पर पेश कर रहा हूँ,
अपने एक मशहूर व्यंयग"चुगल चालीसा"
का कुछ हिस्सा अपने विचारों से अवगत अवश्य करवाए
दोहा
आज के इस संसार में, रहस्य जाने न कोये,
साची झूठी कुछ भी कहे,चुगल कहे वो होये.
अपना काम कुछ करे न,भरे सीनियर के कान,
चुगलखोरों की जात से, दुखी जनता परेशान.
भ्रात श्री चुगलखोर की जय-----------------
जय चुगल चुगली के दाता,
धन्य जननी हो तेरी माता.
जिसने वीर पुत्र है जाया,
चुगली में इसने नाम कमाया.
बात कोई ऐसी नजर है आवे ,
पेट में इसके है बल पड़ जावे.
साची बात न कोई भी बतावे,
एक के साथ है चार लगावे.
जो भी इसके चक्कर में आये,
लुटिया उसकी साफ हो जाये.,
मिठ्ठी जुबां पर चुगली साजे,
तोप की तरह गोले है दागे.
भ्रात श्री चुगलखोर की जय ----"रैना"
शेष बाद में.
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