काश ये रुतबा भी हासिल हो जाये,
बंदा आशिकों में शामिल हो जाये.
इश्क का भूत सिर चढ़ कर बोले,
मेरा दिल दीवाना पागल हो जाये.
दिल के आँगन में जब फूटे हिम्मत,
मझदार भी फिर तो साहिल हो जाये.
वक्त के साथ बदल रहा सब कुछ,
भला चंगा इंसान भी जाहिल हो जाये.
कभी सोचता हूँ मैं तन्हा बैठ कर,
"रैना" भी किसी के काबिल हो जाये.
No comments:
Post a Comment