दोस्तों ग़ज़ल का रंग देखे
मैं खतावार मुजरिम सजा दे मुझे,
माफ़ मत कर खता तू कजा दे मुझे।
जिंदगी से करे हम गिला क्यों भला,
कब वफा इस शहर में दगा दे मुझे।
मैं भटकता रहा घर तेरा खोजता,
कर रहम सुन दुआ अब पता दे मुझे।
मैं तिरा हो गया अब मिरा तू सनम
यार एक आध जलवा दिखा दे मुझे।
हम अभी जिन्दगी के तलबगार है,
हो सके तो अजल से बचा दे मुझे।
रात भर देखते ख्वाब कब हो मिलन,
प्यार महबूब "रैना" मिला दे मुझे।।।।"रैना"
मैं खतावार मुजरिम सजा दे मुझे,
माफ़ मत कर खता तू कजा दे मुझे।
जिंदगी से करे हम गिला क्यों भला,
कब वफा इस शहर में दगा दे मुझे।
मैं भटकता रहा घर तेरा खोजता,
कर रहम सुन दुआ अब पता दे मुझे।
मैं तिरा हो गया अब मिरा तू सनम
यार एक आध जलवा दिखा दे मुझे।
हम अभी जिन्दगी के तलबगार है,
हो सके तो अजल से बचा दे मुझे।
रात भर देखते ख्वाब कब हो मिलन,
प्यार महबूब "रैना" मिला दे मुझे।।।।"रैना"
No comments:
Post a Comment