उसी दौर की एक और गीत,
दिल थाम के पढ़ना
सावन की बहारे आ जाये,
जब झूम के बदली छा जाये,
तब बरखा अग्नि बरसाये,
तेरी याद दिल को तड़फाये।
पर तू न आये तू न आये,
आजा पिया आ जा ........
पता पुछू चाँद सितारों से,
उन बहकी मस्त बहारों से,
जब खबर तेरी नही मिलती,
रो लेती लग के दीवारों से,
बागों में अब फूल खिले,
बिछुड़े हुए पंछी आन मिले,
सब भूल के तू शिकवे गिले,
आ जा पिया आ जा .........."रैना"
No comments:
Post a Comment