दोस्तों ग़ज़ल आप के लिए
वो खफा उसको मनाये कैसे,
हाल दिल का अब सुनाये कैसे।
तेज चलती अब हवा भी देखो,
दीप उल्फत का जलाये कैसे।
धूल उड़ती सी नज़र आती है,
फूल गुलशन में खिलाये कैसे।
शक जमाना बेवजह ही करता,
चीर कर दिल को दिखाये कैसे।
रात काली दूर मन्जिल "रैना"
ये तड़फ दिल की मिटाये कैसे।"रैना"
वो खफा उसको मनाये कैसे,
हाल दिल का अब सुनाये कैसे।
तेज चलती अब हवा भी देखो,
दीप उल्फत का जलाये कैसे।
धूल उड़ती सी नज़र आती है,
फूल गुलशन में खिलाये कैसे।
शक जमाना बेवजह ही करता,
चीर कर दिल को दिखाये कैसे।
रात काली दूर मन्जिल "रैना"
ये तड़फ दिल की मिटाये कैसे।"रैना"
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