Monday, March 4, 2013

teri har ada mujhe

 हर रजा तेरी मुझे स्वीकार है,
 बावफा तू यार ही दिलदार है।
सुप्रभात जी .............जय जय माँ

 दोस्तों मेरी ये व्यंग्य कविता कवि सम्मेलन की शान होती है,
 आज आप के की  खिदमत में पेश कर रहा हूं

 नासमझ अब हो गया नादान देखो,
 मौत के पीछे भागता इन्सान देखो,
 क्यों लोग मुर्ख बन गए इस कदर,
बना लिया शैतान को भगवान देखो।
नैतिकता का ग्राफ निरंतर गिर रहा,
छत टपकती आलिशान मकान देखो।
अफ़सोस भारत माता जनता से करे,
देश का मसीहा बन गया दरबान देखो।
चुनाव जीतने का नया चलन देखिये,
नेताओं ने पाल लिये पहलवान देखो।
झूठ के बड़े बड़े शो रूम अब खुल गये,
मजबूरन बंद हुई सच की दुकान देखो।
"रैना"कुछ सोच कर आगे की संवार ले,
फिर मिलना मुश्किल जीवन दान देखो।"रैना"



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