Sunday, March 17, 2013

दोस्तों मेरी किताब की मेरी प्यारी ग़ज़ल,
आप को कैसी लगी sunday spacial

क्यों खफा हो कुछ बताओ तो सही,
हाल दिल का तुम सुनाओ तो सही।
हम फ़िदा तेरी अदा पे बावफा,
तेरा जलवा अब दिखाओ तो सही।
गर न समझे तो दुखी हो जिन्दगी,
नीर जीवन है बचाओ तो सही।
वो सितारा टूट कर क्यों है गिरा,
राज गहरा ये बताओ तो सही।
सांस लेना चाहते हो गर भली,
पेड़ धरती पे लगाओ तो सही।
वक्त की रफ्तार होगी कम नही,
सो रहे मन को जगाओ तो सही।
कल हसीं महके बगीया ये चमन,
आज उसके पास जाओ तो सही।
देख कर यूं हाल दिल बीमार का,
रो न "रैना" मुस्कराओ तो सही।"रैना"


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