Friday, March 15, 2013

husn ki fitret

दोस्तों की महफ़िल में अपनी
किताब की प्यारी ग़ज़ल

हुस्न की फितरत खता करना,
इश्क की आदत दुआ करना।
जख्म दिल पे हैं लगे गहरे,
सुन तबीबो अब दवा करना।
फरज अपना हम निभाये है,
फरज तेरा तू अदा करना।
मेरि हसरत अब यही बाकी,
तेरे घर का बस पता करना।
टूटता दिल तब बने शायर,
अरज मेरी तू  दगा करना।
बात "रैना" की खरी होती,
बेवजह तू मत गिला करना।"रैना"



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