दोस्तों की महफ़िल में अपनी
किताब की प्यारी ग़ज़ल
हुस्न की फितरत खता करना,
इश्क की आदत दुआ करना।
जख्म दिल पे हैं लगे गहरे,
सुन तबीबो अब दवा करना।
फरज अपना हम निभाये है,
फरज तेरा तू अदा करना।
मेरि हसरत अब यही बाकी,
तेरे घर का बस पता करना।
टूटता दिल तब बने शायर,
अरज मेरी तू दगा करना।
बात "रैना" की खरी होती,
बेवजह तू मत गिला करना।"रैना"
किताब की प्यारी ग़ज़ल
हुस्न की फितरत खता करना,
इश्क की आदत दुआ करना।
जख्म दिल पे हैं लगे गहरे,
सुन तबीबो अब दवा करना।
फरज अपना हम निभाये है,
फरज तेरा तू अदा करना।
मेरि हसरत अब यही बाकी,
तेरे घर का बस पता करना।
टूटता दिल तब बने शायर,
अरज मेरी तू दगा करना।
बात "रैना" की खरी होती,
बेवजह तू मत गिला करना।"रैना"
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