दोस्तों के लिए ग़ज़ल पेश है,
तन्हाई है किस्मत मेरी।
जोगी जैसी हालत मेरी।
गम से उल्फत याराना है,
तन्हा रहना आदत मेरी।
शब् होने में देरी कब है,
आने वाली शामत मेरी।
मंजिल से दूरी बाकी है,
दम तोड़े अब हिम्मत मेरी,
जिस के खातिर रैना"रोता,
झट है बदली मुहबत मेरी।"रैना"
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